गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

बहुत देर तक जिसे यूंही सजाते रहे।
जाने क्यों यादों को तेरी छुपाते रहे।

अधूरी सी ज़िंदगी लगती रही तेरे बिन
दिल में तेरा ही अक्स बनाते मिटाते रहे।

तुम न समझो तो गम कोई न होगा मगर
मिलने के तुमसे बहाने हरदम बनाते रहे।

जाने कुछ कशिश थी तेरी हर इक बात में
तुम और याद आते रहे जितना भुलाते रहे।।।
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |