गज़ल
बहुत देर तक जिसे यूंही सजाते रहे।
जाने क्यों यादों को तेरी छुपाते रहे।
अधूरी सी ज़िंदगी लगती रही तेरे बिन
दिल में तेरा ही अक्स बनाते मिटाते रहे।
तुम न समझो तो गम कोई न होगा मगर
मिलने के तुमसे बहाने हरदम बनाते रहे।
जाने कुछ कशिश थी तेरी हर इक बात में
तुम और याद आते रहे जितना भुलाते रहे।।।
कामनी गुप्ता ***