माँ
मात्री दिवस के अवसर पर पूज्य माँ को श्रद्धांजलि :
माँ
अचेत अबोध शिशु को, सीने से लागाकर तू माँ
बड़ा किया उसको अपने खून से, सींचकर तू माँl |
अंगुली थामकर क़दमों पर, चलना सिखाया मुझको
इंसान बनाया मुझको, संस्कार से सींचकर तू माँl |
जाग-जागकर रात को खुद, मुझको थपकी लगायी
मुझको सुलाती थी, लोरी के धुन सुना कर तू माँl |
पढने लिखने की प्रेरणा मुझको, तुझसे मिली माँ
आज मैं जो कुछ भी हूँ, उसका रचनाकार तू माँ |
तू ही ब्रह्मा, तू ही विष्णु, तू ही मेरा प्रथम गुरु
तू जननी है मेरी अस्तित्व की, मेरे संस्कार तू माँ |
किया नाश मेरे दुर्गुणों का, तू ही शिवारूपा हो मेरी माँl
कभी प्यार से डांटकर, कभी बक्र भृकुटी दिखाकर तू माँ |
तेरे चरण-कमलों में, श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ मैं
जिंदगी के हर संकट में, तेरा हाथ रख मेरे सर पर तू माँl |
© कालीपद ‘प्रसाद’