गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

माँ

मात्री दिवस के अवसर पर पूज्य माँ को श्रद्धांजलि :

 

माँ

 

अचेत अबोध शिशु को, सीने से लागाकर तू माँ

बड़ा किया उसको अपने खून से, सींचकर तू माँl |

 

अंगुली थामकर क़दमों पर, चलना सिखाया मुझको

इंसान बनाया मुझको,  संस्कार से सींचकर तू माँl |

 

जाग-जागकर रात को खुद, मुझको थपकी लगायी

मुझको सुलाती थी, लोरी के धुन सुना कर तू माँl |

 

पढने लिखने की प्रेरणा मुझको, तुझसे मिली माँ

आज मैं जो कुछ भी हूँ, उसका रचनाकार तू माँ |

 

तू ही ब्रह्मा, तू ही विष्णु, तू ही मेरा प्रथम गुरु

तू जननी है मेरी अस्तित्व की, मेरे संस्कार तू माँ |

 

किया नाश मेरे दुर्गुणों का, तू ही शिवारूपा हो मेरी माँl

कभी प्यार से डांटकर, कभी बक्र भृकुटी दिखाकर तू माँ |

 

तेरे चरण-कमलों में, श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ मैं

जिंदगी के हर संकट में, तेरा हाथ रख मेरे सर पर तू माँl |

 

 

© कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !