कहानी

बदलते रिशते

भाग दौड़ बस,कहीं नहीं दिखता कोई ठहराव!
जाने किस लिए है इतनी भाग दौड़।
क्या पहले समय में इन्सान ज़िंदगी में उन्नति नहीं करता था या कोई मुकाम हासिल नहीं करता था या ज़िंदगी के सही मायने पता नहीं थे। एक बात और हो सकती है शायद रिशते निभाना नहीं आता था।
सुबह सुबह ही रसोईघर से ज़ोर ज़ोर की आवाज़े आना शुरू हो गई थी और यह रोज़ की दिनचर्या थी। रवि और रीना दोनो ही नौकरी करते थे और अकेले रहते थे शादी के एक साल बाद ही सास के बात बात पर टोकने की आदत के कारण और विचारों में मतभेद के कारण रीना ने रवि को अलग रहने के लिए दबाब बनाया था। मां पुराने विचारों की और थोड़े बहमी स्वभाव की थी इसी कारण रवि समझ चुका था रीना मां के साथ कोई समझौता करने को तैयार नहीं होगी और न ही मां खुद को चाह कर भी इतना बदल पाएगी। इसिलिए रीना परेशान न हो क्योंकि वो अपनी ज़िंदगी आज़ादी से और अपनी मर्ज़ी से बिना किसी रोक टोक के जीना चाहती थी पर मां बहुत कोशिश के बाद भी अपने स्वभाव को बदल नहीं पाती थी। पर मां यह भी नहीं चाहती थी कि रवि और रीना उसे छोड़कर जाएं मगर ऐसा हो न सका रीना और रवि अब अलग घर में रहते थे। रीना ने नौकरी भी कर ली थी अब सुबह सुबह ही इतनी भाग दौड़ होती थी कि
रीना को जल्दी जल्दी काम निपटाना होता था क्योंकि घर तो फिर शाम को ही खुलता था। इसिलिए सभी कुछ समेट कर जाना होता था। रीना थोड़ा देरी से उठती थी जिसकी वजह से जल्दी जल्दी काम का बोझ बड़ जाता था। रवि भी रीना की काम में मदद करते थे पर फिर भी कहीं मोबाईल चार्ज करना होता था कहीं कंप्यूटर पर अपना काम देखना होता था सुबह का अखबार भी पड़ना फिर कामबाली को भी काम समझाना। रात के खाने की भी थोड़ी सी तैयारी करनी होती थी। हालांकि रात को ज्यादातर रवि और रीना बाहर ही खाना खा लेते थे क्योंकि जब थक कर शाम को रीना घर आती थी तो उसका मन नहीं होता था फिर से रसोईघर में जाने का इसीलिए कभी पीज़ा बरगर और कभी बाहर अच्छे से रैंस्तरा में खाना खा लेते थे बहुत ही कम ऐसा होता था कि खाना घर पर बने। जब कभी मां को रवि की याद आती तो वो फोन पर कहती रवि तुमने फोन नहीं किया न ही तुम इतने दिन से मिलने आए तो यही जबाव मिलता मां समय नहीं मिलता बहुत काम है और मां चुप हो जाती। रवि की बहन की शादी हो चुकी थी पापा नहीं थे एक छोटा भाई था जो अभी कुंवारा था। वो भी जब काम से घर आता तो आते ही अपने मोबाइल और कंप्यूटर पर बैठ जाता मां बात करने की कोशिश भी करती तो बस हूं हां में जबाब देता था। मां बहुत काम है यही बात सुनने को मिलती। बहन भी अगर कभी मिलने आती तो बस काम है थोड़ी देर बैठकर जैसे किसी मेहमान से बात करते हैं बस और यही कहकर छोटा बेटा भी अपने कमरे में चला जाता। बेटी भी जल्दी ही चली जाती मां बच्चो ने आना है उनके इम्तिहान हैं पर अभी तो इम्तिहान हुए थे मां का सवाल होता। मां अब थोड़ी थोड़ी देर बाद टैस्ट होते हैं इसिलिए उनको लाया भी नहीं ट्यूशन जाना है मां समय नहीं होता आजकल बच्चो के पास काम बहुत मिलता है न। मां यही सोचती शायद मैं ही हूं जिसके पास इतना समय है और सभी व्यस्त हैं। मेरा तो कोई थोड़ी देर बैठकर प्यार से सच्चे दिल से हाल भी नहीं पूछता कुछ चाहिए थक गई मां कुछ भी नहीं कहां गल्त है कोई बात। बेटी भी जल्दी जल्दी में आकर बस अपने संदेश दे जाती है कि मेरे घर यह भेज देना बच्चों का जन्मदिन है हमारी शादी की सालगिरह है सबको गिफ्ट भेजो मां ऐसे अच्छा नहीं लगता । अच्छा चलती हूँ समय नहीं है मां बाय। जल्दी जल्दी बच्चों से फोन पर बात करते करते मोना भी चली गई थी। काफी दिन हो गए थे मोना को रवि से मिले हुए रवि को फोन किया तो कहने लगा समय नहीं मिलता पर ज़रूर आंऊगा अच्छा अपना ख्याल रखना बाय। मोना काफी दिन के बाद रवि और भाभी से मिलने घर गई भाभी ने तो दरवाज़े पर ही मन में सोचा यह कहां से आ गई आज छुट्टी थी हमारा घूमने जाने का प्रोग्राम था खैर हंस कर ननंद को गले लगाकर रीना बुझे मन से अंदर लेकर आती है। फिर रवि से कहती है आज छुट्टी है मैने अपना थोड़ा काम करना है और पारलर भी जाना है आप दीदी के लिए खाना बाहर से ले आओ हम भी खा लेंगे अब मैं इतनी जल्दी क्या बनाऊंगी । खाना बाहर से आ गया खाना खाकर मोना जाने की जिद्द करने लगी। रवि ने और रीना ने ऊपर ऊपर से कहा रूक जाओ शाम को चले जाना या मैं छोड़ आता हूं मोना भी समझ चुकी थी शायद इनका कोई प्रोग्राम है कहीं जाने का इसलिए वो भी झूठी मुस्कान देकर वहां से चली गई। वो रवि और रीना को समझती थी पर यह नहीं याद आया कि अपने ससुराल में वो भी तो ऐसे ही थी ओर वो और उसके पति भी तो रिशतों को इतना ही महत्व और प्यार दे रहे थे। जो वो दूसरों को दे रहे थे बदले में वो भी तो वही पा रहे थे। शायद वक्त बदल चुका है या रिशते पर फिर भी सभी रिशते ऐसे नहीं बदले हैं कहीं तो ठहराव और प्यार बाकि है तभी तो यह दुनिया चल रही है।।।
कामनी गुप्ता***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |