गीत/नवगीत

गीत : तुम्हें तुम से चुरा लूँगा

तुम्हें हरदम पुकारा है,
मैंने खामोश होकर भी,
तुम्हें इक पल नहीं भूला,
मैं अपने होश खोकर भी,
तुम्हें धड़कन बना कर मैं,
अपने दिल में बसा लूँगा,
कुछ ना कर सकोगे तुम,
तुम्हें तुम से चुरा लूँगा,

कुछ ना कर सकोगे तुम,
तुम्हें तुम से चुरा लूँगा,

तेरे ही दम से मेरी जां,
ये दुनिया खूबसूरत है,
तुझे मालूम क्या मुझको,
तेरी कितनी ज़रूरत है,
मैं दुनिया छोड़कर सारी,
तुम्हें अपना बना लूँगा,
कुछ ना कर सकोगे तुम,
तुम्हें तुम से चुरा लूँगा,

कुछ ना कर सकोगे तुम,
तुम्हें तुम से चुरा लूँगा,

दिल-ए-नाज़ुक है सीने में,
और तेरे शहर में हूँ,
मौत मेरा मुकद्दर है,
मैं कातिल की नज़र में हूँ,
मगर मरते हुए भी मैं,
गीत जीवन के गा लूँगा,
कुछ ना कर सकोगे तुम,
तुम्हें तुम से चुरा लूँगा,

कुछ ना कर सकोगे तुम,
तुम्हें तुम से चुरा लूँगा,

तेरी आँखों के मयखाने में,
अक्सर डूब जाता हूँ,
मदहोशी का आलम है,
पिए बिन लड़खड़ाता हूँ,
तेरी उल्फत के पैमाने,
मैं होंठों से लगा लूँगा,
कुछ ना कर सकोगे तुम,
तुम्हें तुम से चुरा लूँगा,

कुछ ना कर सकोगे तुम,
तुम्हें तुम से चुरा लूँगा,

हाल-ए-दिल बता देना,
मुहब्बत में इशारों से,
तुझे पैगाम भेजूंगा,
सितारों से, बहारों से,
छुपे तू लाख पर्दों में,
मैं चंदा से पता लूँगा,
कुछ ना कर सकोगे तुम,
तुम्हें तुम से चुरा लूँगा,

कुछ ना कर सकोगे तुम,
तुम्हें तुम से चुरा लूँगा,

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]