कविता

कविता : प्रार्थना

मन का सूरज
कभी डूबने ना पाए
आशाओं का नया सवेरा
जीवन की सोई
आस जगाए
पंछियों का कलरव
छेड़े नई साज
ठंडी पुरवाई का झोंका
मन की सारी
जलन मिटाए
सकारात्मकता की ज्योत
जले जीवन में
नकारात्मकता का अँधेरा
दूर हटाए
खुला हो आसमान
पंछियों की तरह
उड़े और चहचहाएँ
चले , थके कभी
गिर भी जाए
पर रुके ना कदम कहीं
हे ईश्वर दे
ऐसी दुआएँ
कभी झुकूँ तो
चरण तेरे हो
करूँ ऐसा करम की
कभी लड़खड़ाउँ तो
मिले तेरी पनाहें

रीना मौर्य "मुस्कान"

शिक्षिका मुंबई महाराष्ट्र ईमेल - [email protected] ब्लॉग - mauryareena.blogspot.com

8 thoughts on “कविता : प्रार्थना

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    लाजवाब सृजन

    • रीना मौर्य "मुस्कान"

      dhanywad sir

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    प्रेरक रचना बिटिया

    • रीना मौर्य "मुस्कान"

      shukriya aanty ji 🙂

    • रीना मौर्य "मुस्कान"

      dhanywad sir

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी रीना जी, अति सुंदर प्रार्थना के लिए आभार.

    • रीना मौर्य "मुस्कान"

      bahut-bahut dhanywad 🙂

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