कविता : सृष्टि
सृष्टि है संकट में
हरित क्रांति लाना है
हम इंसान की है भूमिका
सबको व्रक्ष लगाना है
पर्यावरण की रक्षा करेंगे
रहंगे सदा ख़ुश हाल हम
ध्यान रहे ये बात सदा
पेड़ों से है हम जीवित
पेड़ कटेंगे सन्से कटेगी
सृष्टि भी शून्य होजाएगी
हे मानव तू गगन को छूने
पर्यावरण मीटारहा है
पेड़ रहेंगे हम रहेंगे
हम सब से ख़ुश हाल रहेगा
प्राण बचेंगे पेड़ों के होने से
— राज मालपानी