कुण्डली/छंद

कुंडलियां : देख चुनावी जीत को…

 

देख चुनावी जीत को, मनवा भरे उमंग
नेता जी पर चढ़ गया, जूं फ़ागुन का रंग
जूं फ़ागुन का रंग, बहुत ज़्यादा बौराये
खूब मचाई धूम, अरु लड्डू बंटवाये
कह बंसल कविराय,फटीचर हो गये शेख
लल्लन जी चुपचाप, जीत रहे उनकी देख||

अम्मा दीदी को मिली, देखो भारी जीत
जनता ने फिर चुन लिया, दोनों को मनमीत
दोनों को मनमीत, बनाकर सौंपी गद्दी
बाकी सब हो गये, बिना बिक्री की रद्दी
कह बंसल कविराय, हुआ हर कोय निकम्मा
सबने चाटी धूल, जीत गयी दीदी अम्मा

उन्नीस के सपने लिए, देख रहे सब आस
अपनी अपनी जीत का, सबको है विश्वास
सबको है विश्वास, कर रहे सब तैयारी
अपने वोटर लगे, सभी को जनता सारी
कह बंसल कविराय ,दुखी है जनता पिस पिस
होगी मन की बात , जब आयेगा उन्नीस॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

3 thoughts on “कुंडलियां : देख चुनावी जीत को…

  • लीला तिवानी

    प्रिय सतीश भाई जी, अति उत्तम सामयिक कुंडलियाँ. बधाई.

  • विजय कुमार सिंघल

    उत्तम सामयिक कुंडलियाँ !

    • सतीश बंसल

      आभार आद. विजय जी

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