नाम पर कोहराम कर के क्या मिलेगा…
नाम पर कोहराम कर के क्या मिलेगा।
हमको यूं बदनाम कर के क्या मिलेगा॥
वक्त अपने आप कर देंगा बयां खुद।
यूं कुफ़र के काम करके क्या मिलेगा॥
सोच बदलोगे तभी बदलेगा सब कुछ।
बेकार के बवाल करके क्या मिलेगा॥
हो रही जाहिर है अब नीयत तुम्हारी।
तुमसे कोई सवाल करके क्या मिलेगा॥
सच्चाई की उम्मीद तुमसे बेमानी है।
फिर भला मलाल करके क्या मिलेगा॥
दंभ छल और झूठ है फितरत तुम्हारी।
तुमसे उम्मीदें पाल करके क्या मिलेगा॥
ताकत है पास तुम जो चाहोगे करोगे।
पर जिन्दगी मुहाल करके क्या मिलेगा॥
सतीश बंसल
बहुत खूब !
शुक्रियावाद.. विजय जी…
बहुत खूब !