भजन/भावगीत

मुरलिया करत हिया में झंकार…

मुरलिया करत हिया में झंकार।
अधर धरै जब कृष्ण कन्हैया
बाजत दिल के तार।
मुरलिया करत हिया में झंकार…

खग दृग सुध बुध भूलै सारी
तान धरै जब जब गिरधारी।
गोप गोपियां सम्मोहित हो
कहते बलिहारी बलिहारी॥
कोयल कूकै मोर नाचकर,
करते हैं मनुहार….
मुरलिया करत हिया में झंकार…

सुन मुरली की तान हुआ है
मंदम इंन्द्लोक वादन।
देव देवता और अप्सरा
करने लगे गिरधर का वंदन॥
नंदन वन में बरस रही है,
मधुर मधुर रसधार…..
मुरलिया करत हिया में झंकार…

राधे राधे के स्वर बोलै
कानों में अमृत रस घोलै।
ललित लताऐं झूम झूम कर
कलियों से खिलने को बोलै॥
फूल फूल आतुर बनने को,
श्याम गले का हार….
मुरलिया करत हिया मैं झंकार…

परमानंद भयो ब्रज भूमि
रास रचाई हैं जब मनमोहन।
धन्य हुई जमुना की रेती
धन्य हुआ सारा नंदन वन॥
कान्हा की मुस्काती सूरत,
राधा जी को प्यार….
मुरलिया करत हिया मैं झंकार…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

4 thoughts on “मुरलिया करत हिया में झंकार…

  • विजय कुमार सिंघल

    सुंदर गीत !

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया आद… विजय जी

  • विजय कुमार सिंघल

    सुंदर गीत !

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया आद.. विजय जी..

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