मुक्तक/दोहा

दोहे

मन में धारण कीजिये, मानवता के मूल।
धीरज और विवेक को, मानव कभी न भूल॥

अपने मन में धारिये, सत्य और सदभाव।
तारेगी मजधार से, सदा सदा यह नाव॥

धर्म नाम मत कीजिये, मानवता से घात।
धर्म कभी करता नही, ऊंच नीच की बात॥

पाखंडो ने हर लिया, धर्मों का स्वरूप।
शीतलता की छांव को, बना दिया है धूप॥

धर्म के स्थल कर दिये, दानवता के मंच।
ईश्वर तेरे नाम पर,हो रहे छल प्रपंच॥

भटक रहा है राह से, मानवता का सार।
मिटी आस्था धर्म से, धर्म बना व्यापार॥

मन को चेतन कीजिये, रखिये जगा विवेक।
धर्म कर्म अरु भाव को, मन चितवन से देख॥

सच्चाई की राह में, होगें बहुत व्यवधान।
कर्म और पुरुषार्थ ही, जानों सकल निदान॥

बंसल मानवता रहे, सबसे पहले ध्यान।
फिर चाहे जो पंथ हो, कर देगा उत्थान॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

3 thoughts on “दोहे

  • विजय कुमार सिंघल

    उत्तम दोहे !

  • विजय कुमार सिंघल

    उत्तम दोहे !

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया आद… विजय जी..

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