फूलों ने मेरा रास्ता रोका है
आज मुझे और किसी ने नहीं टोका है,
बस सुबह-सुबह फूलों ने मेरा रास्ता रोका है.
छोटी-सी क्यारी से खूबसूरती से निहारते हुए
डिप्लेडेनिआ के लाल चटख फूल
कह रहे थे मानो बुला-बुलाकर अपने पास
हम भी हैं उसी एक परमात्मा का खूबसूरत सृजन
हमें छोटा समझ मत जाना भूल.
तनिक हमारे पास भी आओ और रुको
हमसे हाथ मिलाकर दोस्ती करने के लिए तनिक झुको
झुकने वाला कभी छोटा नहीं होता है
वह तो सबसे महान होता है
फल का वृक्ष जब फलों से लदा-फदा होता है
वह बोझ या भार से नहीं विनम्रता से झुकता है
ताकि कोई उसके फल तक पहुंच सके
इसलिए तुम भी तनिक झुककर मुझ छोटे दोस्त से दोस्ती करो
मुझे खुश करो और अपने मन को भी खुशियों से भरो.
आज मुझे और किसी ने नहीं टोका है,
बस सुबह-सुबह फूलों ने मेरा रास्ता रोका है.
bhut hi khoobsurat kavita
प्रिय सखी अंजु जी, आपके खूबसूरत नज़रिए को नमन. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
बहुत सुंदर कविता बहिन जी। फूलों के माध्यम से बहुत गहरी बात आपने कह दी !
प्रिय विजय भाई जी, जो फूलों ने हमें समझाया, वही हमने अभिव्यक्त कर दिया. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
लीला बहन, कविता बहुत खूबसूरत लगी . आप की पर्शंसा से फूल और भी खिल गए होंगे .
आज मुझे और किसी ने नहीं टोका है,
बस सुबह-सुबह फूलों ने मेरा रास्ता रोका है.
प्रिय गुरमैल भाई जी, फूल तो वैसे ही इतने आकर्षक थे, कि मैं बार-बार रुककर उनको देख रही थी. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.