गीतिका/ग़ज़ल

रस्मो रिवाज कौन निभाता है आजकल

रस्मो रिवाज कौन निभाता है आजकल।
ये बोझ भला कौन उठाता है आजकल॥

खुदगर्जियों का दौर है खुद में ही खुश रहो।
रूठों को भला कौन मनाता है आजकल॥

सूरत पे हर किसी की है फ़रेब का नकाब।
सीरत को कौन सामने लाता है आजकल॥

रिश्ते हुए है सिर्फ और सिर्फ मतलबी।
बिन बात कौन रिश्ते निभाता है आजकल॥

कहने को तो इंसानों की बस्ती है दोस्तों।
इंसां मगर कहां नज़र आता है आजकल॥

बदले हुए इस दौर में सब कुछ बदल गया।
परियों के किस्से कौन सुनाता है आजकल॥

लगता है उसके सीने में तूफ़ान बहुत हैं।
मुस्कान में वो दर्द छुपाता है आजकल।॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.