भारत मां के लाल
भारत माँ के लाल वतन पर हस कर जान लुटाते हैं।
धरा धाम का कर्ज चुका कर ओढ तिरंगा आते हैं।
जब भारत की ओर कोई नापाकी नजर उठाता है ।
जब भारत माता का सीना छलनी सा हो जाता है ।
तब भारत मां के लाल वतन पर अपनी जान लुटाते हैं ।
कतरा कतरा खून बहाकर अपना फर्ज निभाते हैं ।
राणा, लक्ष्मी और भगत सी गाथा फिर दोहराते हैं।
धरा धाम का…………………
आजादी है कर्ज फर्ज ये भूल कभी तुम मत जाना ।
जब भी दे आवाज तिरंगा बांध कफन सिर पर आना ।
आजादी के परवानो की केवल यही निशानी है ।
छिपी तिरंगे में अब तक उन वीरो की कुर्बानी है।
सूरज चाँद गगन भी उनको, नित ही शीश झुकाते हैं।
धरा धाम का……………………
जाने कितने दिप बुझे थे पावन दिन ये आने में ।
हसकर बेटे फांसी झूले मां को आजाद कराने में
आज तिरंगा लहराता है पावन बडी कहानी है
जाने कितने वीरो की शामिल इसमें कुर्बानी है
अन्तिम क्षण जब गिरे धरा पर, अमर नाम हो जाते है!
धरा धाम का…………………
क्रमश:
अनुपमा दीक्षित मयंक