सवैया छंद
खट्टी मिठी डाट सुन, टेढे मेढे मुंह बना, रूठ जाऊ मैं जो मुझे, प्यार से मनाती है
सामने गिनाये मेरी, कमियाँ वो लाख पर, पीछे मेरे सबसे वो, खूबीया गिनाती है ।
देर से जो आऊँ कभी , मुझे लाख बातें कहे, होती है फिकर मेरी, मुझे समझाती है।
बिन कहे जान लेती, हर बात दिल की वो, इसलिए जग में वो, मात कहलाती है।।
— अनुपमा दीक्षित मयंक