गीत/नवगीत

हर बार परीक्षा नारी क्यों दे

हर बार परीक्षा नारी क्यों दे, क्यों हर बार छली जाए ।
नित रोज नया रावण आकर सीता को क्यों हर जाए ।
क्यों खोया अस्तित्व जहा में , बनी खिलौना माटी सा।
नही मिला अधिकार इसे क्यों, आजाद जहाँ में जीने का?

लाज शरम अरु मर्यादा बस, नारी के हिस्से आए?
देख कहानी अत्याचारी कैसे अब चुप रह पाए?
अब समय आ चुका है ऐसा हथियार उठाने ही होगें।
माँ काली दुर्गा बाले सब पाठ पढाने ही होगें।

एक अकेले से क्या होगा ऐसी सोच नहीं रखना ।
लेकर दृढ संकल्प हृदय मे, सत पथ पर आगे बढना।
इतिहास नहीं बनना नारी को नित नई कहानी अब होगी।
अबला से सबला बन जाओ, हर राह सुहानी तब होगी।

अनुपमा दीक्षित मयंक

अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

नाम - अनुपमा दीक्षित भारद्वाज पिता - जय प्रकाश दीक्षित पता - एल.आइ.जी. ७२७ सेक्टर डी कालिन्दी बिहार जिला - आगरा उ.प्र. पिन - २८२००६ जन्म तिथि - ०९/०४/१९९२ मो.- ७५३५०९४११९ सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन छन्दयुक्त एवं छन्दबद्ध रचनाएं देश विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा - परास्नातक ( बीज विग्यान एवं प्रोद्योगिकी ) बी. एड ईमेल - adixit973@gmail.com