हार जीत की प्रीत
हार किसकी हुई जीत किसकी हुई ।
जाना कोई नहीं प्रीत किसकी हुई ।
कोइ राधा बनी कोई मीरा हुई ।
बनकर वो एक नदी लीन सागर हुई ।
चलते राहो में वो सबसे कहती हुई ।
हार किसकी …………………
जीत किसकी …………………
नैन मे स्वप्न वो एक बुनती हुई
प्रीत की रीति को वो निभाती हुई
प्रेम के गीत को गुनगुनाती हुई
और तिमिर को उजाला बनाती हुई
हार किसकी ………………
जीत ………………………
बनकर जोगन सी धूमि रमाए हुई
ह्रदय श्याम को है बसाए हुई
आस हर पल मिलन की जगाए हुई
लाल चुनर में खुद को सजाए हुई।
हार किसकी ………………
जीत ………………………
अनुपमा दीक्षित “मयंक “