बाल कविता – मंद-मंद मुस्काय रहे हैं
नन्हे-नन्हे प्यारे-प्यारे
माँ के नयन के तारे बच्चे
मधुर मधुर मुस्कान लिए नित
घुलमिल जाते प्यारे बच्चे
तपती धूप मे खेल रहे हैं,
कैसे उमस को झेल रहे हैं
आम के रस को गिरा रहे है
जामुन काली खाय रहे हैं
लीची की क्या स्वाद निराली
मम्मी को बतलाय रहे हैं
कुछ खट्टे कुछ मीठे आम
वैसे रंग दिखाय रहे है
प्यारे – प्यारे न्यारे बच्चे
फल के स्वाद बताय रहे है
मंद-मंद मुस्काय रहे हैं
माँ को आज हँसाय रहे हैं
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’
प्रिय राजकिशोर भाई जी,
नन्हे-नन्हे प्यारे-प्यारे बच्चे,
मंद-मंद मुस्काय रहे हैं
हमें भी अपना बचपन याद दिलाकर
अपने साथ हंसाय रहे हैं.
अति सुंदर बाल कविता के लिए आभार.
आदरणीया बहन जी प्रणाम हौसला अफजाई के लिए आभार संग नमन्
बाल कविता बहुत अछि लगी ,बचपन याद आ गिया .
आदरणीय भामरा साहब सप्रेम नमस्ते आपके आत्मीय स्नेह के लिए आभार