बाल कविता

बाल कविता – मंद-मंद मुस्काय रहे हैं

नन्हे-नन्हे प्यारे-प्यारे
माँ के नयन के तारे बच्चे
मधुर मधुर मुस्कान लिए नित
घुलमिल जाते प्यारे बच्चे
तपती धूप मे खेल रहे हैं,
कैसे उमस को झेल रहे हैं
आम के रस को गिरा रहे है
जामुन काली खाय रहे हैं
लीची की क्या स्वाद निराली
मम्मी को बतलाय रहे हैं
कुछ खट्टे कुछ मीठे आम
वैसे रंग दिखाय रहे है
प्यारे – प्यारे न्यारे बच्चे
फल के स्वाद बताय रहे है
मंद-मंद मुस्काय रहे हैं
माँ को आज हँसाय रहे हैं

राजकिशोर मिश्र ‘राज’

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि

4 thoughts on “बाल कविता – मंद-मंद मुस्काय रहे हैं

  • लीला तिवानी

    प्रिय राजकिशोर भाई जी,

    नन्हे-नन्हे प्यारे-प्यारे बच्चे,

    मंद-मंद मुस्काय रहे हैं

    हमें भी अपना बचपन याद दिलाकर

    अपने साथ हंसाय रहे हैं.

    अति सुंदर बाल कविता के लिए आभार.

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीया बहन जी प्रणाम हौसला अफजाई के लिए आभार संग नमन्

  • बाल कविता बहुत अछि लगी ,बचपन याद आ गिया .

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय भामरा साहब सप्रेम नमस्ते आपके आत्मीय स्नेह के लिए आभार

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