गज़ल
यूं गुज़र जाते हैं करीब से पर बात नहीं करते।
भूलने लगे हैं हर एहसास और याद नहीं करते।
ख्वाबों की मलकियत पर यूं तो गुमां था हमको
ख्वाबों में भी हंस कर अब मुलाकात नहीं करते।
जाने कैसे भूल गए हैं वो अनमोल रिशतों को
अश्क थामें पलको पर उनकी बरसात नहीं करते।
चलो अच्छा है वक्त से पहले ही जता दिया तुमने
संभल जाएंगे यूंही उनसे कोई सवालात नहीं करते।।।
कामनी गुप्ता ***