दोहे
1.
युग युग से प्रेम की, देखो ये ही रीत।
मिल जाता सभी वहां, यहां सच्ची हो प्रीत।।
2.
नैनों को न बांधों यूं, बोझिल होती पीर।
रूह भी घायल हो यूं, ह्रदय चुभते तीर।।
1.
युग युग से प्रेम की, देखो ये ही रीत।
मिल जाता सभी वहां, यहां सच्ची हो प्रीत।।
2.
नैनों को न बांधों यूं, बोझिल होती पीर।
रूह भी घायल हो यूं, ह्रदय चुभते तीर।।