मुक्तक/दोहा

दोहे

1.
युग युग से प्रेम की, देखो ये ही रीत।
मिल जाता सभी वहां, यहां सच्ची हो प्रीत।।

2.
नैनों को न बांधों यूं, बोझिल होती पीर।
रूह भी घायल हो यूं, ह्रदय चुभते तीर।।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |