जब तू था मुस्कुराया
माथे पर पड़े बलों ने कुछ और ही बताया
और वह छवि मिटा दी जब तू था मुस्कुराया
क्यूँ होंठ सिल गए हैं, चुप्पी है क्यूँ छाई
याद बहुत आए जब तू था बड़बड़ाया
वह छवि है मिट गई जब तू था मुस्कुराया
तेरे थके हाथों से जान निकल चुकी है
था एक ज़माना जब तू था काम आया
वह छवि है मिट गई जब तू था मुस्कुराया
तेरे सुस्त कदमों से हुई बड़ी निराशा
मीलों से चलकर एक दिन तू था पास आया
वह छवि मिट गई जब तू था मुस्कुराया
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सुंदर रचना
शुक्रिया
तेरे थके हाथों से जान निकल चुकी है
था एक ज़माना जब तू था काम आया बहुत खूब !
धन्यवाद