कविता

जब तू था मुस्कुराया

माथे पर पड़े बलों ने कुछ और ही बताया

और वह छवि मिटा दी जब तू था मुस्कुराया

 

क्यूँ होंठ सिल गए हैं, चुप्पी है क्यूँ छाई

याद बहुत आए जब तू था बड़बड़ाया

वह छवि है मिट गई जब तू था मुस्कुराया

 

तेरे थके हाथों से जान निकल चुकी है

था एक ज़माना जब तू था काम आया

वह छवि है मिट गई जब तू था मुस्कुराया

 

तेरे सुस्त कदमों से हुई बड़ी निराशा

मीलों से चलकर एक दिन तू था पास आया

वह छवि मिट गई जब तू था मुस्कुराया

 

*****

*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल n30061984@gmail.com

4 thoughts on “जब तू था मुस्कुराया

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर रचना

    • नीतू सिंह

      शुक्रिया

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    तेरे थके हाथों से जान निकल चुकी है

    था एक ज़माना जब तू था काम आया बहुत खूब !

    • नीतू सिंह

      धन्यवाद

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