कविता

कविताएं

मैंने कविताऎं लिखना छोड़ दिया है

क्योंकि कविताऎं अजीब होती हैं

वो तो फुरसत की चीज़ होती हैं

 

कुछ वक्त के साथ सड़ जाती हैं

कुछ खिलने लगती हैं

कुछ ताख़ों पर रह जाती हैं

कुछ सम्पादक से मिलने लगती हैं

 

कुछेक को तो रोग लग जाता है

कुछ दूसरी टहलने जाती हैं

कुछेक गुमशुदा हो जाती हैं

कुछ दूसरी मक़ाम पाती हैं

 

कुछ सिक्कों सी खनकती हैं

तो कुछ कटोरा पटकती हैं

कुछ बारिशों सी बरसती हैं

तो कुछ दरारों से टपकती हैं

 

कुछ मेरी कलम के नीचे

दब-दबकर मर जाती हैं

कुछ औरों की कलम से निकल

उन्हें अमर कर जाती हैं

*****

*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल [email protected]

5 thoughts on “कविताएं

  • नीतू सिंह

    धन्यवाद सर। लिखी हुई कविता या कहानी जब पढने वाले को पसंद आए तभी उद्देश्य पूरा होता है। आपके शब्दों ने मेरी लेखनी को सार्थक कर दिया। पुन: धन्यवाद सर्।

  • नीतू सिंह

    धन्यवाद सर। लिखी हुई कविता या कहानी जब पढने वाले को पसंद आए तभी उद्देश्य पूरा होता है। आपके शब्दों ने मेरी लेखनी को सार्थक कर दिया। पुन: धन्यवाद सर्।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    मैंने कविताऎं लिखना छोड़ दिया है

    क्योंकि कविताऎं अजीब होती हैं ,, हा हा ,बहुत खूब ! तस्सली भी दिए जातें हैं, दिल भी तोड़े जाते हैं . लिखे भी जाते हैं, छोड़े भी जाते हैं, यह रोग ही ऐसा, दवाई छोड़े जाते हैं . सौरी कविता मेरे लिए टेड़ी खीर है . आप की कविता हमेशा सुन्दर होती है और कहानी तो बिलकुल नैचुरल होती है जो किसी सिनेमा हाल में फिल्म देखने के बराबर होती है .

    • नीतू सिंह

      धन्यवाद सर। लिखी हुई कविता या कहानी जब पढने वाले को पसंद आए तभी उद्देश्य पूरा होता है।
      आपके शब्दों ने मेरी लेखनी को सार्थक कर दिया।

    • नीतू सिंह

      धन्यवाद सर। लिखी हुई कविता या कहानी जब पढने वाले को पसंद आए तभी उद्देश्य पूरा होता है।
      आपके शब्दों ने मेरी लेखनी को सार्थक कर दिया।

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