कविताएं
मैंने कविताऎं लिखना छोड़ दिया है
क्योंकि कविताऎं अजीब होती हैं
वो तो फुरसत की चीज़ होती हैं
कुछ वक्त के साथ सड़ जाती हैं
कुछ खिलने लगती हैं
कुछ ताख़ों पर रह जाती हैं
कुछ सम्पादक से मिलने लगती हैं
कुछेक को तो रोग लग जाता है
कुछ दूसरी टहलने जाती हैं
कुछेक गुमशुदा हो जाती हैं
कुछ दूसरी मक़ाम पाती हैं
कुछ सिक्कों सी खनकती हैं
तो कुछ कटोरा पटकती हैं
कुछ बारिशों सी बरसती हैं
तो कुछ दरारों से टपकती हैं
कुछ मेरी कलम के नीचे
दब-दबकर मर जाती हैं
कुछ औरों की कलम से निकल
उन्हें अमर कर जाती हैं
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धन्यवाद सर। लिखी हुई कविता या कहानी जब पढने वाले को पसंद आए तभी उद्देश्य पूरा होता है। आपके शब्दों ने मेरी लेखनी को सार्थक कर दिया। पुन: धन्यवाद सर्।
धन्यवाद सर। लिखी हुई कविता या कहानी जब पढने वाले को पसंद आए तभी उद्देश्य पूरा होता है। आपके शब्दों ने मेरी लेखनी को सार्थक कर दिया। पुन: धन्यवाद सर्।
मैंने कविताऎं लिखना छोड़ दिया है
क्योंकि कविताऎं अजीब होती हैं ,, हा हा ,बहुत खूब ! तस्सली भी दिए जातें हैं, दिल भी तोड़े जाते हैं . लिखे भी जाते हैं, छोड़े भी जाते हैं, यह रोग ही ऐसा, दवाई छोड़े जाते हैं . सौरी कविता मेरे लिए टेड़ी खीर है . आप की कविता हमेशा सुन्दर होती है और कहानी तो बिलकुल नैचुरल होती है जो किसी सिनेमा हाल में फिल्म देखने के बराबर होती है .
धन्यवाद सर। लिखी हुई कविता या कहानी जब पढने वाले को पसंद आए तभी उद्देश्य पूरा होता है।
आपके शब्दों ने मेरी लेखनी को सार्थक कर दिया।
धन्यवाद सर। लिखी हुई कविता या कहानी जब पढने वाले को पसंद आए तभी उद्देश्य पूरा होता है।
आपके शब्दों ने मेरी लेखनी को सार्थक कर दिया।