कविता “रुबाई” *महातम मिश्र 16/06/2016 चित्र अभिव्यक्ति …….. गुटुरगूं गुटुरगूं दिल जब करता है अंदर कबूतर फुद-फुदक उड़ता है प्रेमी परिंदा मिलन की चाह लिए इतिश्री चोंच को आलिंगन करता है॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी