गीत/नवगीत

गीत : कैराना की चीख़

(उ प्र के कैराना “कर्णपुरी” से 360 हिन्दू परिवारों के पलायन पर भारत में हिन्दू भविष्य की दशा को रेखांकित करती मेरी नई कविता)

देवालय की घंटी टूटी,घायल कलश पताका है,
गायत्री के स्वर शोषित हैं,आरतियों पर डाका है

राम राम के अभिनन्दन पर वालेकुम का वार हुआ,
तिलक कलावा,पैजामी हुड़दंगों से लाचार हुआ

होली दीवाली को लूटा रमजानी अफ्तारों ने,
देवनागरी नंगी कर दी,उर्दू के अखबारों ने

सतिया-चौक-रंगोली,आँगन की तुलसी भी रोई है,
कायरता की चादर ओढ़े कौम सनातन सोई है

हुआ बताओ क्या उन गंगा जमुनी वाले नारों का?
कैराना से हुआ पलायन क्यों हिन्दू परिवारों का

अब ये शोर नमाज़ी हमको हमलावर सा लगता है,
कैराना का आलम पूरा पेशावर सा लगता है

कादिर,अली,मुहम्मद,हाफ़िज़,पूरा शहर संभाले हैं,
शर्मा,यादव,जाटव,गुर्जर के घर लटके ताले हैं

ताले नही कहो इनको ये कायरता की ताली है,
सौ करोड़ हिन्दू पुत्रों के स्वाभिमान को गाली है

नेताओं को नहीं दिखा अब तक रोना कैराना का,
काश्मीर सा तड़प रहा है हर कौना कैराना का

कितने हिन्दू क़त्ल हुए,बस गुमनामी के किस्से हैं,
केरल से कैराना तक,गहरी साज़िश के हिस्से हैं

बंटे रहो तुम माया और मुलायम की परछाईं में,
बंटे रहो तुम जाटव यादव बनिया या ठकुराई में

कैराना पर आँख मूंदकर बैठे हो,पछताओगे,
आने वाली नस्लों को फिर कैसे मुँह दिखलाओगे

कवि गौरव बोले,पुरखों के बलिदानो को याद करो,
कैराना में फिर से धर्म सनातन को आबाद करों

हम हिन्दू हैं माना सबको गले लगाने वाले हैं,
सदियों से सीने पर कितने हमले सहने वाले हैं

लेकिन अब भी मौन रहे तो,सिर्फ लाश हो जाएंगे,
अमन अमन रटते रटते सब वंश नाश हो जायँगे

राम कृष्ण की छाती पर चढ़कर पैगम्बर आएंगे,
कैराना तो एक झलक है, सबके नंबर आएंगे

— गौरव चौहान