गीत : दहेज विडाल
ये कैसी समाज ने रीत चलायी,
जो नारी का अभिशाप बन गयी।
थी बेटी की ठण्डकदाई बिदाई,
कैसे हृदय का ताप बन गयी।।1।।
नारी जीते जी संपत्ति बन गयी,
पुरुष प्रधान समाज की चालों में।
कुछ व्यक्तिगत उसका ना बचा,
घृणित रिवाजों के जालों में।।2।।
चीजों में बसे मा के दुलार को,
व्याहता जो कुछ साथ में लाये।
दहेज नाम दे श्वसुर गृह के,
व्यक्ति पहला अधिकार जताये।।3।।
मन मसोस के लुटते देखती,
चीजों में बसे बाबुल के प्यार को।
बन्दर बांटें छलनी कर देती,
पर किसे दिखाये अश्रुधार को।।4।।
ससुराल पक्ष को अच्छा मिल गया,
दहेज रूप में दोहन का डंडा।
इस पर ठेकेदारों ने टाँगा,
सनातनी रीत का काला झंडा।।5।।
प्राचीन रिवाजों के छद्म वेश में,
दहेज बना बिल्ला विकराल।
जकड़ा समाज दाढ़ों में उसने,
नारी जाति का महा काल कराल।।6।।
जीते रहे मूषक की जिंदगी,
बिलों में छिप हम हो लाचार।
दहेज विडाल एक एक कर,
करता रहा चूहों का शिकार।।7।।
कौन घण्टी बाँधे बिल्ली के गले में,
झपटे नित मूषक ये बिलार।
घड़ियाली आँसू बहुत बहाये,
पर किया नहीं ठोस प्रतिकार।।8।।
ये बात बड़ी अचरज की कैसी,
जिनके पुत्र पुत्रियाँ दोनों होते।
पुत्रों के व्याह में दोनो हाथों से,
ये बात भूल वे दहेज बटोरते।।9।।
संपन्न लोग जो रीत चलाते,
जग उनकी करता देखादेखी।
पर हो अंधे वे ही नित करते,
अबलों के हित की अनदेखी।।10।।
ऊंचा घर तेरा सभी जानते,
बाकी है कितना और दिखावा।
क्यों चौपट करते इस समाज को,
स्वार्थ के अन्धों करके छलावा।।11।।
जितना ऊँचा जिसका कद है,
उसकी उतनी ऊँची जिम्मेदारी।
समाज के हित में निर्णय लेके,
जन हित की प्रथा चलाएँ सारी।।12।।
हाथों पर हाथ धरे रखने से,
ना परिवर्तन नारी आयेगा।
इस दहेज प्रथा का उन्मूलन,
शायद ही पुरुषों को भायेगा।।13।।
खोया अधिकार पुनः पाने इस,
दहेज विडाल को मार दिखाओ।
स्वावलंब की सेना ले नारी,
खुद बन रणचण्डी आगे आओ।।14।।
— बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया
बहुत अछि बातें लिखी हैं लेकिन मैं सोचता हूँ ,इस का जिमेदार कौन है . मैंने १९६७ में दस बरातिओं और बगैर दान दहेज़ के शादी कराई थी ,आज २०१६ जा रहा है ,कहते हैं इंडिया में एजुकेशन बहुत हो गई है ,मुझे तो यह बातें अनपढ़ों से भी ज़ादा गई गुजरी लगती हैं . इस दान दहेज़ में औरत ही जब वोह सास बनती है ,ज़ादा चाहत रखती है . और अपने वोह दिन भूल जाती है जब वोह कभी बहु बन कर आई थी ,अब सास बन कर अपनी बहु से ही बदला लेती है .
नमन साहब सुन्दर गीत के लिए बधाई