उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-9: दो साल पहले

समीर अपने असिस्टेन्ड सूरज के साथ नियत टाइम पर पहुँच गया डिटेक्टीव करन ने उनका स्वागत किया और अपने सरवेन्ट को काॅफी लाने को कहा।
डिटेक्टीव समीर बोला तो बताइए मिस्टर करन आपके पास क्या खबर है, तब करन बोला –
करीब दो साल पहले एक लड़की जिसका नाम रेनुका था जयपुर से अपनी पढ़ाई पूरी करके आयी उसके घर वालों ने उसकी शादी तय कर दी थी पर अपने काॅलेज के ही किसी लड़के से प्यार हो गया और वे दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे पर रेनुका की शादी कही और होने वाली थी।
वह उसे भुला नहीं पा रही थी घरवालों ने सोचा कि समय के साथ ये सबकुछ भूल जायेगी पर ऐसा नहीं हुआ दिन पर दिन उसकी यादें रेनुका में घर करती गई और वह हमेशा खोयी-खोयी सी रहने लगी यह देखकर उसके घरवाले बहुत परेशान रहने लगे यहाँ तक उसे साइकोलाजिस्ट को दिखाया पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
रेनुका की हालत देखकर उसके पापा ने उसे उस लड़के से शादी करने की इजाजत दे दी और उससे मिलने को कहा तब रेनुका के चहरे पर मुस्कान आयी और धह अपने पापा के गले लग गयी और सुबक-सुबक कर रोने लगी।
रेनुका के पापा ने रेनुका की पीठ थपथपायी और बोले बेटा जल्दी निकलो तुम लेट हो रही हो फिर क्या रेनुका दौड़कर कार के पास आयी और अंदर बैठकर कार स्टार्ट की कुछ ही देर में कार रोड में पूरी स्पीड में दौड़ने लगी शहर से करीब 45 किलोमीटर चलने के बाद गाड़ी अचानक बंद हो गयी रेनुका ने उतरकर कार का बोनट खोला तो इंजन से धुआँ निकल रहा था। रेनुका मदद के लिये इधर-उधर देखने लगी पर दूर तक कोई नहीं था।
अचानक एक कार आती दिखी रेनुका ने हाथ दिया कार रेनुका के पास आकर रुकी उस कार में नानू, बिरजू कालिया, वीरू तेजा तथा बब्बर सिंह थे रेनुका उन लोगों को देखते ही समझ गयी कि ये लोग अच्छे नहीं है उसने कार रोककर गलती की तब रेनुका बोली साॅरी सर गलती हो गयी और वह पीछे को जाने लगी।
तब नानू बोला कहा जा रही हो जानेमॅ हमें रोककर अब दिद तोड़कर मत जाओ हमारा भी दिल वहला दो यह सुनकर रेनुका दौड़ने लगी तब नानू ने कर घुमायी और रेनुका की तरफ दौड़ा दी फिर बिरजू कालिया और बब्बर सिंह ने कार से उतरकर रेनुका को पकड़कर कार में बिठा लिया रेनुका चिल्लाती रही मुझे छोड़ दो पर उन लोगों ने उसकी एक न सुनी तभी अचानक कार का दरवाजा खुला और रेनुका कार से गिर गयी
यह सुनकर समीर की सांसे तेज हो गयीं तब करन ने काॅफी का कप उठाया और एक कस लिया
समीर अचानक से बोला फिर फिर क्या हुआ ।तब…..

दयाल कुशवाह

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