गीत/नवगीत

गीत : माँ तेरी ममता का कोई मोल नहीँ

माँ तेरी ममता का कोई मोल नहीं।
भू से भारी वात्सल्य तेरा, जिसका कोई तोल नहीं।
माँ तेरी ममता का कोई मोल नहीं॥

हो आँखों से ओझल लाल यदि, पड़े नहीं कल अंतर में।
डोले आशंकाओं में चित, नौका जैसे तेज भँवर में।
लाल की खातिर कुछ भी सहने मे, तेरे मन में गोल नहीं।
माँ तेरी ममता का कोई मोल नहीं॥

खुद गीले में सो कर भी, सूखे में तू उसे सुलाए।
देख उपेक्षा चुप से रो लेती, ना सपने में भी उसे रुलाए।
सुनती लाख उलाहने उसके, फिर भी मन में झोल नहीं।
माँ  तेरी ममता का कोई मोल नहीं॥

लाल की खातिर सारे जग से, निशंकोच वैर तू ले लेती।
दो पल का सुख उसे देने में, अपना सर्वस्व लुटा देती।
तेरे रहते लाल के माथे, बल पड़ जाए ऐसी पोल नहीं।
माँ तेरी ममता का कोई मोल नहीं॥

रूठे तेरा लाल कभी तो, मुँह में कलेजा आ जाता।
एक आह उसकी सुन कर, तम आँखों आगे छा जाता।
गिर पड़े कहीं वो पाँव फिसल, तो तेरे मुख में बोल नहीं।
माँ तेरी ममता का कोई मोल नहीं॥

तेरा लाल हँसें से तो हे माता, तेरा सारा जग हँसता।
रोए लाल तो तुझको माता, सारा जग रोता दिखता।
‘नमन’ तेरे वात्सल्य को हे मा, इससे कुछ अनमोल नहीं।
माँ तेरी ममता का कोई मोल नहीं॥

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

नाम- बासुदेव अग्रवाल; जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं। (1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।) (2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)