हादसे
हुआ कैसा हाल
हमारे देश ,शहर ,गांव …
नगर, डगर का
हर ओर उगते
नफ़रत के कैक्टस
हर ओर डसते
दंगों के त्रास
हर ओर
नफ़रत के हादसे
खोई खुशहाली
खोई शांति
खोया प्यार
बस दम तोड़ती सासें
बस सिसकती ज़िंदगियाँ
क्यों हादसे बने नसीब
हमारे तुम्हारे।।
…..मीनाक्षी सुकुमारन
अच्छी कविता