नवल किशोरी चली….
नवल किशोरी चली, ब्रज की चकोरी चली
मुरली की तान सुन, मन नाहि धीर है।
जिसे देखो हर कोई, सुध बुध खोई खोई
एक टक देख रही, यमुना के तीर है।
सुब नही शाम देखे, कुछ नही काम देखे
बाँसुरी बजाईबे को, कितना अधीर है।
सबको किया है वश, मन हुए श्याम वश
मन पीर देखे नही, कितना बे पीर है।॥
सबका वो सपना है,सबका वो अपना है
श्याम है वो मीरा का भी, राधा का भी श्याम है।
कोई बोले है गोपाल, कोई बोले नंदलाल
बोलता है कान्हा कोई, बोले राधेश्याम है
बंसीधर कहे कोई, गिरधर कहे कोई
कहता कन्हैया कोई, कहे धनश्याम है
मुरली बजैया कहे, रास को रचैया कहे
जिस मन जैसी छवि, वैसा तेरा नाम है॥
प्रीत रीत मन धार, श्याम को पुकारे जो भी
बन मन मीत रीत, प्रीत की निभाते है।
सखा भाव से बुलाया, जिसने भी जब श्याम।
हरने को मन पीर, दौडे चले आते है।
श्याम पे भरोसा करे, जो भी मन मीत वरे
उसको सदा सदा ही, मन में बसाते है।
गिरधारी बनवारी, जगत मुरारी देखो
राधा रानी के अधीन, राधे राधे गाते है॥
सतीश बंसल