समाज में सही संदेश जाना ज़रूरी
कभी एक लघु कथा पढ़ी थी, जिसमें एक लेखक ने एक प्रतियोगिता के लिए एक कहानी भेजी थी. कहानी यूं तो बहुत अच्छी थी, पर संपादक द्वारा खेद सहित वापिस लौटा दी गई थी. इस कहानी में मेले के दौरान एक खोए हुए बालक को एक व्यक्ति द्वारा उसके माता-पिता के पास पहुंचा दिया गया, लेकिन इसी दौरान बचाने वाले का पर्स गायब हो गया था. उसी पर्स में से बार-बार रुपए निकालकर बालक को कुछ-कुछ खिला रहा था और उसके माता-पिता को ढूंढ रहा था. कहानी इस बिना पर लौटाई गई थी, कि इस कहानी को पढ़कर आगे से खोए हुए बच्चों को अपने अभिभावकों के पास पहुंचाने के विषय में गलत संदेश जाएगा और आगे से कोई बच्चों को नहीं बचाएगा, ठीक उसी तरह जिस प्रकार ”हार की जीत” कहानी में बाबा भारती ने डाकू खडगसिंह को कहा था- ”तुम घोड़ा भले ही ले जाओ, पर जिस तरीके से गरीब और दीन-दुखी बनकर तुमने सुलतान को हासिल किया, वह किस्सा कभी किसी के सामने उजागर मत करना, अन्यथा गरीबों और दीन-दुखियों पर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा.
इन दोनों कहानियों के याद आने का कारण एक समाचार है. आज हम आपको जिस रण बांकुरे से मिलवा रहे हैं, उनका नाम है, अजित सिंह सिंहवी. हमारे इस साहसी और उत्साही किरदार अजित सिंह सिंहवी ने-
”न तो धारदार हथियार लेकर कोई युद्ध किया,
न ही शत्रुघ्न सिन्हा के फ़िल्मी अंदाज़ में ‘खामोश’ कहकर किसी को चुप किया.”
वे खुद चुपचाप 47 साल तक कानूनी लड़ाई रहे और अंत में इस टॉपर को मिला गोल्ड मेडल. जी हां हम बात कर रहे हैं, राजस्थान यूनिवर्सिटी में 47 साल पहले LLB के छात्र रहे एक छात्र की, जो अब रिटॉयर्ड आईएएस ऑफिसर हैं, उन्हें 47 साल बाद जाकर अपना गोल्ड मेडल मिल पाया है. विश्वविद्यालय में टॉप करने के बावजूद उन्हें गोल्ड मेडल देने से इनकार कर दिया गया था.
अजित सिंह सिंहवी ने अपनी इतनी लंबी लड़ाई लड़ने का जो कारण बताया, उसने हमें बहुत प्रभावित किया. उनका कहना है- ”अगर उन्होंने यह कानूनी लड़ाई न लड़ी होती तो समाज में गलत संदेश जाता, कि इस समाज में पढ़े लिखे लोग भी अपना अधिकार नहीं ले पाते हैं.”
सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है, कि इसके लिए उन्हें धनराशि खर्च करने के अलावा बहुत मेहनत भी करनी पड़ी. राजस्थान के सुदूर इलाके में रहते थे इसके बावजूद वह समय पर कोर्ट में आते रहे. एक पेशी के लिए आने में ही उनको दो दिन लग जाते थे. अजित सिंह सिंहवी ने इस लड़ाई को जीतकर समाज को एक बहुत अच्छा संदेश दिया है. हो सकता है, उनके इस सही संदेश से बहुत-से लोगों को अपने रुके हुए काम पूरे करने का हौसला मिल जाए. अजित सिंह सिंहवी जी को हमारी तरफ से इस सफलता के लिए और समाज को अच्छा संदेश देने के लिए कोटिशः बधाइयां.
इस लिंक को भी देखें-
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/entry/%E0%A4%B2-%E0%A4%B2-%E0%A4%A6-%E0%A4%B6-%E0%A4%A6-%E0%A4%A8-%E0%A4%AF-%E0%A4%B8%E0%A4%AE-%E0%A4%9C-%E0%A4%AE-%E0%A4%B8%E0%A4%B9-%E0%A4%B8-%E0%A4%A6-%E0%A4%B6-%E0%A4%9C-%E0%A4%A8-%E0%A5%9B%E0%A4%B0-%E0%A4%B01
कहानी में बहुत बड़ा सन्देश है लेकिन बात तो इस को समझने का अपना अपना नज़रीया है .
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.