जनसंख्या-शिक्षा हेतु प्रयास
प्रिय बच्चो,
हम आपको पहले भी बता चुके हैं, कि शक्ति और आत्मविश्वास के साथ उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए. आज 11 जुलाई को ”विश्व जनसंख्या दिवस” है. आप सोच रहे होंगे, कि भला हम आपसे जनसंख्या दिवस की बात क्यों कर रहे हैं. आप ही तो हमारे आने वाले समय के कर्णधार हैं. जनसंख्या-शिक्षा की ज़रूरत इसलिए है, क्योंकि जनसंख्या निरंतर बढ़ती जा रही है और अन्न-जल-वस्त्र-मकान-शिक्षा-सुविधाओं के अभाव में जीवन-यापन मुश्किल हो रहा है. मैं आपके लिए चार-चार पंक्तियों की दो कविताएं लिख रही हूं, आप इनको याद करके सब लोगों को सजग करने की कोशिश करें और बड़े होने पर खुद भी इन बातों का ध्यान रखें-
“छोटा-सा परिवार हो,
सुखों का आधार हो।
देश बढ़ेगा आगे तब ही,
खुशियों का आगार हो॥”
“जनसंख्या रफ़्तार देखकर,
कांप रहा अपना मन है।
खुशहाली कैसे आएगी?
दीन-हीन जन-जीवन है॥”
इसी संदेश के साथ अब हम विराम लेते हैं. हरि-इच्छा रही, तो फिर अगले महीने मिलेंगे, कुछ नई बातों के साथ. इन आसान पंक्तियों को याद रखते हुए जनसंख्या-शिक्षा हेतु प्रयासों के लिए शुभकामनाओं के साथ,
आपकी नानी-दादी-ममी जैसी
— लीला तिवानी
बहुत अच्छी सीख, बहिन जी !
प्रिय विजय भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
लीला बहन , इस छोटी सी कविता में सब कुछ लिख दिया . छोटा परिवार ही अच्छा परिवार होता है लेकिन दुःख की बात यह है किः कुछ समुदाय के लोग छोटे परिवार को सीमत दाएरे में रखना नहीं चाहते, वोह सिर्फ इसे धार्मिक नज़र्ये से ही देखते हैं ताकि उन के धर्म की जन संख्य बड़े .
प्रिय गुरमैल भाई जी, अति सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आभार.
प्रिय गुरमैल भाई जी, अति सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आभार.