आसान तरीका है ये गैरों को
अपना बनाने का
खुशियाँ बाँटने और पा के
मालमाल हो जाने का ।
धन्य हैं वो जिसने मुस्कुराने की
कला सीख ली
दर्द को भेद कर चेहरे पर
चार चाँद लगाने का ।
देखें तो समझ पाएँगे सोचकर,
वो खास बन जाता है
जिसने मुस्कुराकर बनाया
आसान ज़िन्दगी जीने का ।
तो हम भी क्यों न पैदा करें
फूलों से ,मुस्कान की शक्ति को
खिली रहे मुस्कन होठों पर
बानाएँ बहार बगिया जीवन का ।
एक-एक हंसी की आस मे
न जाने कितने उठाते हैं सितम
आहिस्ता-आहिस्ता गली-गली
हर रास्त-रास्ता फैला के
मुस्कान की खुशबू गुनगुनाने का
— प्रमिला श्री