कविता

सावन

ए सावन लगता है मनभावन
बूँदाबूँदी बारिष के फुहारे
जैसे हो कोइ झील के किनारे
खेत खलीहान हुये हरे भरे
नदी,तलाब,झील,झरने मे
लगे पानी उमडने
इस हरीयाली को देख
मन हर्षोल्लास से भरे
ठंढी ठंढी हवा के झोके
शितलता मे कमी न रखते
बारिष के संग गर्म पकौडे
खाने मे कोई पीछे न हटते
खट्टी चटनी मीठी चटनी
सब के सब ही अच्छे लगते
ऐसा पावन सावन मेरा
सबको इसका इंतजार है रहता|
     निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४