कविता

मेरा भारत

कश्मीर , लेह हिमालय में मन अटका
पंजाब का गिद्दा दे झटका
हिमाचल में देवों का गुणगान
हरियाणा में घर-घर पहलवान
उत्तराखंड में नैनीताल
राजस्थान रजवाड़ों के तीर और ढाल
गुजरात में बापू का पोरबंदर
मराठा मारे दुश्मन को घुसकर अंदर
मध्यप्रदेश का सांची स्तूप
झारखंड में बिरसा मुंडा का रूप
केरल का पोंगल है कहता
तमिल “वडकम् “में भगवन् रहता
आंध्रा की चार मीनार
बिहार की पटना को सबका प्यार
गोवा सागर तट का स्वामी
कर्नाटक मैसूर नगण्य धामी
अरूणाचल में पहली किरण
मेघालय में भीगे अंतर्मन
मणिपुर की लोकताल झील बड़ी
असम के बागानों में चाय खड़ी
मिजोरम का नृत्य अजीब
त्रिपुरा में जले सुंदरी के अष्ट हाथ में दीप
तेलंगाना प्रदेश अभी बना
उडीसा का जगन्नाथ मंदिर विशाल घना
बंगाल की दुर्गापूजा
नागालैंड की परंपरा अजूबा
उत्तर अयोध्या में राम आगमन
छत्तीसगढ़ के वनों में राम विचरण
काला पानी अंडमान
जल की धारा
ये राग मैंने राजधानी
दिल्ली बैठ विचारा
थोड़े-थोड़े शब्दों में समझाया
इन्हीं में पुरा भारत समाया

कवि-परवीन माटी

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733