ज़रा सोचिए
जरा सोचिए
इस महीने मेरी मुलाकात 2 बार अलग अलग इंसानो से हुई। ये आदमी लगभग एक ही सोच के थे। ये क्या सच तो ये है कि पुरुषवादी सोच लगभग हर 100 में से 90 लोगों में है। ये दोनों पुरुष अपनी अपनी पत्नियों से अलग रह रहे हैं। कारण यह की इनकी शारीरिक प्रताड़ना से तंग आकर इनकी पत्नियों ने इन्हें छोड़ दिया। मैंने जब इन पुरुषों से बोला की उनसे माफ़ी मांगो और घर ले आओ और कसम खाओ की कभी इनपे दोबारा ऐसी घटिया हरकत नही करोगे तो इनका जवाब ये था कि उनके लिए हाथ उठाना कोई पाप नही है।
तो ऐसे पुरुषों के लिए एक सलाह देना चाहूंगा।
अगर पसंद न आये तो वो पुरुष इसे अनदेखा कर सकते हैं।
तो मैं ये कह रहा हूँ की जो पुरुष महिलाओं पर अपना हाथ उठाना अपना अधिकार समझते हैं तो याद रखिए कि औरत जब शारीरिक रूप से अपने पति से अहोशित होती है तो उसके दिल में पति के लिए नफरत ऐड होने लगती है। और जब नफरत पनप जाय तो जीवन भर प्यार नही हो सकता। उसके शरीर पर जबर्दस्ती अधिकार तो जमा लोगे लेकिन अगर उसके जीवन में कोई ऐसा पुरुष आ गया जो गिद्ध दृष्टि डाले बैठा हो और सांतबना देने के बहाने उसके ह्रदय के जगह बना बैठा तो जीबन भर अपने लिए उसके ह्रदय में प्यार पैदा नही कर पाओगे।
इसलिए हाथ उठाने से पहले 1000 बार सोचिये। क्योंकि तन के जख्म मन पे जब लगते हैं तो मन भटकते हुए देर नही लगती। हमारे समाज में जितने भी केस जिसमे पत्नी गैर पुरुष पर आकर्षित होती हैं उसके पीछे असली वजह उनके पतियों द्वारा शारीरिक शोषण मुख्य कारण होता है
#महेश