बाल कविता
बन सिपाही जिस दिन सरहद पर जाऊंगा।
दुश्मन को फिर उस रोज़ मज़ा चखाऊंगा।
मां तुम रोना मत गर वापिस न आऊं मैं
देश का अपने पर देखना मान मैं बढ़ाऊंगा।
जब तक रहेगी आखिरी सांस बाकि मेरी
चुन चुन कर सबको सरहद से भगाऊंगा।
तेरा बेटा हूँ मां तुझसे ही तो सीखा है
जीवन अपना देश को अर्पन कर जाऊंगा।।।
कामनी गुप्ता ***