बाल कविता

बाल कविता

बन सिपाही जिस दिन सरहद पर जाऊंगा।
दुश्मन को फिर उस रोज़ मज़ा चखाऊंगा।

मां तुम रोना मत गर वापिस न आऊं मैं
देश का अपने पर देखना मान मैं बढ़ाऊंगा।

जब तक रहेगी आखिरी सांस बाकि मेरी
चुन चुन कर सबको सरहद से भगाऊंगा।

तेरा बेटा हूँ मां तुझसे ही तो सीखा है
जीवन अपना देश को अर्पन कर जाऊंगा।।।
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |