कविता

कविता : क्या हुआ , क्या हो रहा है और क्या होगा

वैज्ञानिक रस में डूब कर,
आधुनिक उन्नति खूब कर,
वह प्रकृति का शासक बन बैठा ।
भौतिक सुखों की होड़ में,
वाहनों की दौड़ में,
वह पर्यावरण को दूषित कर बैठा ।
ऑक्सीजन के मारे ,
ये लोग अंधियारे ,
कैसे इससे बच सकते हैं ।
आपके सहयोग से ,
सरकार के संजोग से ,
इस समस्या को नियंत्रित कर सकते है ।
मोबाइल की क्रांति से ,
स्टाइल की भ्रान्ति से ,
हो सके तो इस पर काबू पाइए ।
संस्कारो की आवाज से,
आधुनिकता के ताज से,
सन्तुलन बना के जीते जाइए ।
कर्म की इस धरती पर,
दुनिया ये टलती पर,
    बाद में पछताएगी ।
आने वाली पीढ़ी ,
आज के आलसियों को ,
       दुत्कारती ही  पायेगी ।
कर्म में मस्त रहना ,
निंदा से बच के रहना ,
सच्चे कर्मशील की पहचान होगी ।
सदुपयोग करके वक्त का ,
पाबन्द हो हर वक्त का ,
भविष्य में उसी हुनरमन्द की शान होगी ।
अभी चली है कलम कुछ दूर,
बन रहा धीरे से सरूर,
     बहुत दूर तक जाना है ।
न तलवार के वारों से,
केवल शब्दों के हथियारों से,
विचारों को जन जन तक पहुँचाना है ।

कृष्ण मलिक

मेरा नाम कृष्ण मलिक है । अम्बाला जिले के एक राजकीय विद्यालय में व्यवसायिक अध्यापक के रूप में कार्यरत हूँ । योग्यता में ऑटोमोबाइल इंजीनियर हूँ । कम्प्यूटर चलाने में विशेष रुचि रखता हूँ। दिल्ली, मध्य प्रदेश, लखनऊ , हरियाणा , पंजाब एवम् राजस्थान के समाचार पत्र में मेरी रचनाएँ छप चुकी है । दिल्ली की सुप्रसिद्ध पत्रिका ट्रू मीडिया में अगस्त के अंक में मेरी एक रचना प्रकाशित हो रही है । बचपन में हिंदी की अध्यापिका के ये कहने पर कि तुम भी कवि बन सकते हो , प्रेरणा पाकर रचनाओं की शुरुआत की और 14 वर्ष की उम्र से ही कुछ न कुछ तत्व को पकड़ कर लिखना जारी रखा । आज लगभग 12 वर्ष बीत गए एवम् 150 के आस पास आनंद रस एवम् जन जागृति की काव्य एवम् शायरी की रचनाएँ कर चुका हूँ।