घन श्याम
प्रेम बरबस मन बसे — घन श्याम कहते हैं
ज्ञान सरयू धार हों — श्री राम कहते हैं
भक्त बन निष्काम तू हर भाव मुरली धर
श्याम गीता प्रेम अर्जुन नाम कहते हैं
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी
प्रेम बरबस मन बसे — घन श्याम कहते हैं
ज्ञान सरयू धार हों — श्री राम कहते हैं
भक्त बन निष्काम तू हर भाव मुरली धर
श्याम गीता प्रेम अर्जुन नाम कहते हैं
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी
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बढ़िया !
आदरणीय सिंघल जी आपकी आत्मीय स्नेहिल हौसला अफजाई के लिए आभार संग नमन
आदरणीय सिंघल जी आपकी आत्मीय स्नेहिल हौसला अफजाई के लिए आभार संग नमन