मुक्तक
निशाना साध मंजिल पर,नजर को तू गढ़ाए रख |
तमोमय रात है काली, जरा दीपक जलाए रख |
मधुप छोटे परों से भी, गगन में उड़ रहे ऊँचे |
सुलगती हसरते दिल में, सदा ही तू जगाए रख |
नीतू शर्मा,
जैतारण
निशाना साध मंजिल पर,नजर को तू गढ़ाए रख |
तमोमय रात है काली, जरा दीपक जलाए रख |
मधुप छोटे परों से भी, गगन में उड़ रहे ऊँचे |
सुलगती हसरते दिल में, सदा ही तू जगाए रख |
नीतू शर्मा,
जैतारण