कविता : सवाल कईं
उलझन मन की
सुलझ न पाए…
कहूँ या छुपा लूँ
हैं ऐसे ख़याल कईं !!
तरसती आँखें
रस्ता निहारें…
मिलोगे अबके
या लगेंगे साल कईं !!
न दिल बंजारा
न हम हैं बंजारे…
भटके है मन क्यों
हैं ऐसे सवाल कईं !!
— अंजु गुप्ता
उलझन मन की
सुलझ न पाए…
कहूँ या छुपा लूँ
हैं ऐसे ख़याल कईं !!
तरसती आँखें
रस्ता निहारें…
मिलोगे अबके
या लगेंगे साल कईं !!
न दिल बंजारा
न हम हैं बंजारे…
भटके है मन क्यों
हैं ऐसे सवाल कईं !!
— अंजु गुप्ता