गीतिका/ग़ज़ल

देश प्रेम

खंड खंड मैं उसको कर दूँ
खाल उडेढ़ के भुस मैं भर दूँ।

नजर उठाये यदि भारत पर
शीश काट के हाथ पे धर दूँ।

गद्दारी तेरे खून में बसती
वफ़ा की रश्में कैसे कर दूँ।

न कर कत्ले ,इधर से हट ले
बीच बजार सिर मुंडन कर दूँ।

नियत खोर कश्मीर को मांगे
नही मिलेगा खण्डन कर दूँ।

हाथ मिलाऔरआ गले लग जा
इननफरतो का दफन मैं कर दूँ।

कवि दीपक गांधी

दीपक गाँधी

नाम - दीपक गांधी पिता का नाम - टी आर गांधी पद - विकास खण्ड अकादमिक समन्वयक (उच्च श्रेणी शिक्षक) निवास - ग्वालियर म. प्र. रूचि - साहित्य , लेखन ( कविता, गजल) साहित्यिक सफर - 120 कविता, 80 गजल लिख चुका हूँ

2 thoughts on “देश प्रेम

  • अतुल बालाघाटी

    बहुत खूब

    जय हिंद

  • अतुल बालाघाटी

    बहुत खूब

    जय हिंद

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