कविता

कविता : यह ज़िंदगी है कुछ करने के लिए

नहीं मिली है ज़िंदगी मरने के लिए,
यह ज़िंदगी है कुछ करने के लिए
गर आज नहीं तो सुख आएगा कल,
गम की आग में इस तरह न जल
यूँ होश नहीं खो देना एक ही पल में,
डुबो न देना खुद को गहरे जल में
तेरे अपनों पर मत उठा तू कहर,
इतने से गम में मत खा तू जहर
चिंतित होती माँ जब होती तुझे खांसी,
क्या बीतेगी अगर लगाएगा तू फांसी
हैं मुश्किलें तो अपने आप को थामना,
हिम्मत से कर हर बला का सामना
नहीं तुझ पर अधिकार सिर्फ तेरा,
माँ, पिता, बहन तो कोई भाई है तेरा
मरके न दे अपनों को इतना गम,
यूँ न उठा तू उन पर सितम
मुसीबतों से डरकर यूँ न भाग,
कायरता का लगा खुद पर न दाग
जीवन में दुख भी सहना है जरूरी,
बिना दुख के तो ज़िंदगी भी है अधूरी
मरने से पहले निभा अपने फर्ज,
उतार दे खुद पर से सबके कर्ज

नीतू शर्मा, जैतारण

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]