लिखती तुझे मनमीत है
तेरे लिए ये गीत है ।
लिखती तुझे मन मीत है ।
बस प्रेम की आहें सुनी।
राहे कठिन ये क्यों चुनी ।
रास्ते बडे हैं सांकरे ।
दोनों हुए हैं बावरे ।
देखा न गर्मी शीत है ।
लिखती तुझे मनमीत है ।
सुन आज मेरी बात को ।
भूलो न काली रात को ।
काली रही वो नाम की ।
थी प्रेम के पैगाम की ।
कैसी अजब ये रीत है ।
लिखती तुझे मनमीत है ।
धड़के जिया बस नाम से ।
दिन रैन है अब श्याम से ।
चलती कलम कहती यही ।
दुनिया गलत तू ही सही ।
मेरी तुझी से प्रीत है ।
लिखती तुझे मनमीत है ।
हर राह तेरे साथ हो।
हाथों में तेरा हाथ हो।
पायल बजे रुनझुन यहाँ ।
साजन गए हो तुम कहाँ ।
तुझसे बना संगीत है ।
लिखती तुझे मनमीत है ।
— अनुपमा दीक्षित मयंक