कविता : मन के कोरे कागज़ पर…
मन के कोरे कागज़ पर
लिख दो न अपना नाम पिया !
कैसे बोलूं दिल की बातें
तरसे है तुम बिन मेरा जिया !!
महसूस किया है ख्वाबों में
अधरों की छुअन, माथे पे पिया !
बदलो न ख्वाब हकीक़त में
तरसे है तुम बिन मेरा जिया !!
अजब हैं हाथों की ये लकीरें
कहते हैं इनमें तू लिखा ही नहीं !
बदलो न लिखा तुम किस्मत का
और बन जाऔ तुम मेरे पिया !!
मन के कोरे कागज़ पर
लिख दो न अपना नाम पिया !
कैसे बोलूं दिल की बातें
तरसे है तुम बिन मेरा जिया !!
अंजु गुप्ता
वाह वाह ! बहुत खूब !!
वाह वाह ! बहुत खूब !!
थेंक्स सर