कविता

कविता : मन के कोरे कागज़ पर…

मन के कोरे कागज़ पर
लिख दो न अपना नाम पिया !
कैसे बोलूं दिल की बातें
तरसे है तुम बिन मेरा जिया !!

महसूस किया है ख्वाबों में
अधरों की छुअन, माथे पे पिया !
बदलो न ख्वाब हकीक़त में
तरसे है तुम बिन मेरा जिया !!

अजब हैं हाथों की ये लकीरें
कहते हैं इनमें तू लिखा ही नहीं !
बदलो न लिखा तुम किस्मत का
और बन जाऔ तुम मेरे पिया !!

मन के कोरे कागज़ पर
लिख दो न अपना नाम पिया !
कैसे बोलूं दिल की बातें
तरसे है तुम बिन मेरा जिया !!

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed

3 thoughts on “कविता : मन के कोरे कागज़ पर…

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत खूब !!

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत खूब !!

    • अंजु गुप्ता

      थेंक्स सर

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