हाल ऐ दिल्ली
सोच रही दिल्ली की जनता ,ऐसा हाल हुआ कैसे
नहीं पता था निकलेंगे ये ,सारे के सारे ऐसे
अब तो लगता है की जैसे , दिल्ली फिर से छली गयी
मूफत के चक्कर में देखो ,कितनी पीछे चली गयी
कोई फर्जी डिग्रीधारी , कोई बड़ा लफंगा जी
कोई ग्रंथो को फडवा कर ,करना चाहे दंगा जी
कोई माहिर मार पीट में , कोई गाली देता जी
दिल्ली वालो ने किनको है , माना अपना नेता जी
कोई सीडी में दिखता है , करते मिलना जुलना जी
कोई नंगो की बापू से , करने लगता तुलना जी
दिल्ली के सिर चढ़ कर बोला , एक नशा जो तारी था
मुफ़त की सौगात का झाड़ू स्वाभिमान पे भारी था
मैं दिल्ली को बोल रहा हूँ , धोखा कैसा खाया है
देखो दिल्ली वालो तुमने , किनको तख़्त दिलाया है
जिनके कारण राजनीति भी , कितनी नीचे चली गयी
मूफत के चक्कर में देखो ,कितनी पीछे चली गयी
मनोज”मोजू”
सच्चाई बयान करता गीत !
सच्चाई बयान करता गीत !