गीत/नवगीत

हाल ऐ दिल्ली

सोच रही दिल्ली की जनता ,ऐसा हाल हुआ कैसे
नहीं पता था निकलेंगे ये ,सारे के सारे ऐसे
अब तो लगता है की जैसे , दिल्ली फिर से छली गयी
मूफत के चक्कर में देखो ,कितनी पीछे चली गयी

कोई फर्जी डिग्रीधारी , कोई बड़ा लफंगा जी
कोई ग्रंथो को फडवा कर ,करना चाहे दंगा जी
कोई माहिर मार पीट में , कोई गाली देता जी
दिल्ली वालो ने किनको है , माना अपना नेता जी
कोई सीडी में दिखता है , करते मिलना जुलना जी
कोई नंगो की बापू से , करने लगता तुलना जी
दिल्ली के सिर चढ़ कर बोला , एक नशा जो तारी था
मुफ़त की सौगात का झाड़ू स्वाभिमान पे भारी था
मैं दिल्ली को बोल रहा हूँ , धोखा कैसा खाया है
देखो दिल्ली वालो तुमने , किनको तख़्त दिलाया है
जिनके कारण राजनीति भी , कितनी नीचे चली गयी
मूफत के चक्कर में देखो ,कितनी पीछे चली गयी

मनोज”मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.

2 thoughts on “हाल ऐ दिल्ली

  • विजय कुमार सिंघल

    सच्चाई बयान करता गीत !

  • विजय कुमार सिंघल

    सच्चाई बयान करता गीत !

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