दोहे
फैल रहा संसार में, बड़ा भयंकर रोग ।
नजरों से नजरें मिला, झूठ बोलते लोग ।।
निर्मोही मोही बने, धरे संत का भेष ।
मन का मेल छुपाय के, बाँट रहे उपदेश ।।
फैल रहा संसार में, बड़ा भयंकर रोग ।
नजरों से नजरें मिला, झूठ बोलते लोग ।।
निर्मोही मोही बने, धरे संत का भेष ।
मन का मेल छुपाय के, बाँट रहे उपदेश ।।
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अति सुन्दर रचना । ऐसे ही आगे बढ़ते रहो लिखते रहो ।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय । आपका आशीष ऐसे ही हमेशा मिलता रहे ।